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Channel: हिन्दी साहित्य काव्य संकलन »कश्मीर सिंह
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हल्ला बोल

हल्ला बोल बंद दरवाजे देने चाहिए तुरंत खोल हो रहा हो गलत वहां कर देना चाहिए हल्ला बोल… अंधेरे में दीपक जलाकर रोशनी सबको दिखाकर कह देना चाहिए बेफिक्र उजाले हैं बहुत अनमोल एक रेखिक नियम में चलती है दुनिया...

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कोई तो है!

कोई तो है!   मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह नहीं पढ़ता क्योंकि कोई उसकी पढ़ने का भूख भटका गया है। है कोई जो नहीं मेरा दुश्मन पर है कोई...

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क्या होगा

“क्या होगा” गुस्सा कर…. अपना माथा फोड कर क्या होगा   जमीन से आकाश में वार कर क्या होगा   समुद्र में कागज की कश्ती उतार कर क्या होगा   सपने में सम्राट बन झूठी शान कर क्या होगा   दिये की बुझी -बत्ती पर...

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कोई तो है!

कोई तो है!’  मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह नहीं पढ़ता क्योंकि कोई उसकी पढ़ने का भूख भटका गया है। है कोई जो नहीं मेरा दुश्मन पर है कोई...

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कौन महान

 “कौन महान”  कौन बड़ा है  कौन है छोटा  आओ करें विचार  ताकि न हो सके हम  किसी भ्रम का शिकार  क्या  शासक बड़ा है  प्रशासक बड़ा है  धनवान बड़ा है  विद्वान बड़ा है  वृद्व बड़ा है  या  बड़ी है मर्द जात  क्या  इनको...

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मैं कौन हूँ

कभी- कभार जब कभी मेरी बस्ती में मुझे कोई मेरे नाम से आवाज देता है,तो मुझे मेरे होने का तब जाकर सही अहसास होता है।       खोया-खोया गुमनाम हूं किताबों अखबारों से दब गया हूँ इन्टरनेट,टी-वी ने कमरे में कैद...

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अमर अमिट भारत

न मेरा न तेरा यह भारत देश हम सबका   हम यहां करेंगे ईमानदारी से मजदूरी किसानी कुली गिरी नेता गिरी अफसरी हर तरह के क्षमतानुसार अपने-अपने धन्धे अपनायेंगे   सशक्त समाज का निर्माण हर पेट को रोटी जिस्म को...

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काली कोठरी में कैद

लगता है चाँद मुजरिम है कैद काट रहा है रातों की घुप्प काली कोठरी में सूरज को सिपाही बनाकर सुरक्षा व्यावस्था का मुस्तैद जिम्मा सौंपा गया है धरती ने सम्भाला है चाँद की कारगुजारी का पूरा रोजनामचा चाँद का...

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इच्छा

न हम अपनी इच्छा से यहां इस दुनियां में आए हैं न हम अपनी मर्जी से इस दुनियां से लौट पायेंगे फ़िर क्यों इच्छाओं के सागर में हम इतना डूब जाते हैं सुख की चाहत में सैंकडों ठोकरें खाते-खाते अपनी ही परछाई के...

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क्रुध विधाता

पिछला जन्म क्या था याद नहीं किसी को अगला जन्म क्या होगा नहीं पता किसी को इस जन्म में जो है बेसुध सच मानों हैं विधाता उनसे बहुत क्रुध ……………………कश्मीर सिहँ

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तपस्या का ताप

तपस्या का ताप”—–कश्मीर सिह   दुख की घड़ी में कहीं से जब सुख नजर आने लगा। ऐसा लगा जैसे मृत्यु के बाद नया जन्म फिर से आने लगा। लम्बी घनी काली रात जब अन्त में और गहरी होने लगी भोर हो जाने की आशI जगी तब।...

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नेता

“नेता” वह देखो नेता महाराज आ रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता आसीस पा रहे हैं।   बाकी जो लोग दूर हैं खड़े । गाड़ियों से उठती धूल फाँक खा रहे हैं।   लगता है यह देष नेताओं का ही है। खुल्मखुल्ला! सारे पैंतरे...

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सन्त महन्त

दाता वह बहुत बडा देता जो अनमोल दान बदले में वह कुछ न लेता वह सन्त है बहुत ही महान। जिसने ले लिया हो सन्यास उसे भला फिर किसी से क्यों क्या हो आस। प्यासे हैं जो धन के वह हैं लोभी महन्त छोड अपनी कुटिया...

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kavita

अपनी बात कविताओं की कलाओं में साहित्य की सभाओं में क्यों उलझूं ’मैं’ मुझे तो अपनी बात सीधे कहनी है शब्द के आडम्बरों से परे इशारों से भी पहले समझ ले कोई ’बस’ ऐसी लेखनी कहनी है Kashmir Singh

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आत्महत्या

आत्महत्या चिडि़या चींटी कुत्ते गाय हर मौसम में बिन घर-बार ठौर-ठिकाने के बिन उगाए-पकाए अपनी पूरी जिंदगी जीने की भरपूर कोशिश की और इधर एक मानव ने सब कुछ होते हुए भी जरा से मानसिक दबाव में आत्महत्या कर...

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