हल्ला बोल
हल्ला बोल बंद दरवाजे देने चाहिए तुरंत खोल हो रहा हो गलत वहां कर देना चाहिए हल्ला बोल… अंधेरे में दीपक जलाकर रोशनी सबको दिखाकर कह देना चाहिए बेफिक्र उजाले हैं बहुत अनमोल एक रेखिक नियम में चलती है दुनिया...
View Articleकोई तो है!
कोई तो है! मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह नहीं पढ़ता क्योंकि कोई उसकी पढ़ने का भूख भटका गया है। है कोई जो नहीं मेरा दुश्मन पर है कोई...
View Articleक्या होगा
“क्या होगा” गुस्सा कर…. अपना माथा फोड कर क्या होगा जमीन से आकाश में वार कर क्या होगा समुद्र में कागज की कश्ती उतार कर क्या होगा सपने में सम्राट बन झूठी शान कर क्या होगा दिये की बुझी -बत्ती पर...
View Articleकोई तो है!
कोई तो है!’ मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह नहीं पढ़ता क्योंकि कोई उसकी पढ़ने का भूख भटका गया है। है कोई जो नहीं मेरा दुश्मन पर है कोई...
View Articleकौन महान
“कौन महान” कौन बड़ा है कौन है छोटा आओ करें विचार ताकि न हो सके हम किसी भ्रम का शिकार क्या शासक बड़ा है प्रशासक बड़ा है धनवान बड़ा है विद्वान बड़ा है वृद्व बड़ा है या बड़ी है मर्द जात क्या इनको...
View Articleमैं कौन हूँ
कभी- कभार जब कभी मेरी बस्ती में मुझे कोई मेरे नाम से आवाज देता है,तो मुझे मेरे होने का तब जाकर सही अहसास होता है। खोया-खोया गुमनाम हूं किताबों अखबारों से दब गया हूँ इन्टरनेट,टी-वी ने कमरे में कैद...
View Articleअमर अमिट भारत
न मेरा न तेरा यह भारत देश हम सबका हम यहां करेंगे ईमानदारी से मजदूरी किसानी कुली गिरी नेता गिरी अफसरी हर तरह के क्षमतानुसार अपने-अपने धन्धे अपनायेंगे सशक्त समाज का निर्माण हर पेट को रोटी जिस्म को...
View Articleकाली कोठरी में कैद
लगता है चाँद मुजरिम है कैद काट रहा है रातों की घुप्प काली कोठरी में सूरज को सिपाही बनाकर सुरक्षा व्यावस्था का मुस्तैद जिम्मा सौंपा गया है धरती ने सम्भाला है चाँद की कारगुजारी का पूरा रोजनामचा चाँद का...
View Articleइच्छा
न हम अपनी इच्छा से यहां इस दुनियां में आए हैं न हम अपनी मर्जी से इस दुनियां से लौट पायेंगे फ़िर क्यों इच्छाओं के सागर में हम इतना डूब जाते हैं सुख की चाहत में सैंकडों ठोकरें खाते-खाते अपनी ही परछाई के...
View Articleक्रुध विधाता
पिछला जन्म क्या था याद नहीं किसी को अगला जन्म क्या होगा नहीं पता किसी को इस जन्म में जो है बेसुध सच मानों हैं विधाता उनसे बहुत क्रुध ……………………कश्मीर सिहँ
View Articleतपस्या का ताप
तपस्या का ताप”—–कश्मीर सिह दुख की घड़ी में कहीं से जब सुख नजर आने लगा। ऐसा लगा जैसे मृत्यु के बाद नया जन्म फिर से आने लगा। लम्बी घनी काली रात जब अन्त में और गहरी होने लगी भोर हो जाने की आशI जगी तब।...
View Articleनेता
“नेता” वह देखो नेता महाराज आ रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता आसीस पा रहे हैं। बाकी जो लोग दूर हैं खड़े । गाड़ियों से उठती धूल फाँक खा रहे हैं। लगता है यह देष नेताओं का ही है। खुल्मखुल्ला! सारे पैंतरे...
View Articleसन्त महन्त
दाता वह बहुत बडा देता जो अनमोल दान बदले में वह कुछ न लेता वह सन्त है बहुत ही महान। जिसने ले लिया हो सन्यास उसे भला फिर किसी से क्यों क्या हो आस। प्यासे हैं जो धन के वह हैं लोभी महन्त छोड अपनी कुटिया...
View Articlekavita
अपनी बात कविताओं की कलाओं में साहित्य की सभाओं में क्यों उलझूं ’मैं’ मुझे तो अपनी बात सीधे कहनी है शब्द के आडम्बरों से परे इशारों से भी पहले समझ ले कोई ’बस’ ऐसी लेखनी कहनी है Kashmir Singh
View Articleआत्महत्या
आत्महत्या चिडि़या चींटी कुत्ते गाय हर मौसम में बिन घर-बार ठौर-ठिकाने के बिन उगाए-पकाए अपनी पूरी जिंदगी जीने की भरपूर कोशिश की और इधर एक मानव ने सब कुछ होते हुए भी जरा से मानसिक दबाव में आत्महत्या कर...
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